"Quick Revision" पर आपका स्वागत है! यहां हम राजस्थान के लोक देवताओं के प्रश्नों के साथ-साथ उत्तर भी प्रदान करेंगे। राजस्थानी संस्कृति में लोक देवताओं का विशेष स्थान है, और हमने इस ब्लॉग में इन देवताओं के विभिन्न पहलुओं को समावेश किया है।
इस ब्लॉग के माध्यम से हम राजस्थान की प्रसिद्ध लोक देवताओं, उनके कार्य, विशेषताएं, और लोगों के जीवन में उनके महत्व के बारे में बात करेंगे। हमने केवल प्रश्नों और उत्तरों के रूप में इन लोक देवताओं से संबंधित महत्वपूर्ण पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जानकारी प्रस्तुत की है।
यह ब्लॉग आपको राजस्थानी संस्कृति और लोक देवताओं के प्रति आपके रुचि और प्रेम को प्रोत्साहित करने का प्रयास करेगा। यदि आप राजस्थान के लोक देवताओं के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए उपयोगी होगा।
हमारी टीम आपको इस रोचक यात्रा में साथ लेने के लिए तत्पर है। हम आपके प्रश्नों का उत्तर देने और आपकी सहायता करने के लिए यहां हैं। हमें आशा है कि आपको यह ब्लॉग पसंद आएगा और राजस्थान की लोक देवताओं के अद्यतन ज्ञान का आनंद मिलेगा।
"Quick Revision" टीम
Q1. तेजाजी के जन्म स्थल का नाम है-
(1) ददरेवा
(2) आसींद
(3) खड़नाल (खरनाल)
(4) कोलू
व्याख्या - नागवंशीय जाट लोकदेवता तेजाजी का जन्म खनाल
(नागौर) में हुआ। इनके पिता का ताहडुजी, माता का रामकुंवरी व पत्नी का नाम
पैमलदे (पेमल) थी। ये मेर के मीणों से गायों की रक्षार्थ घायल हुए। किशनगढ़ के पास
सुरसरा में सर्पदंश से उनकी मृत्यु भाद्रपद शुक्ल 10 मेवल 1160, तदनुसार 28 अगस्त 1103 हो गई, जिसकी सूचना इनकी घोड़ी लीलण सिणगारी)
ने इनके घर तक पहुंचायी तथा पेमल ने भी उनके साथ जान दे दी। तेजाजी की स्मृति
में प्रतिवर्ष भाद्रपद सुदी दशमी (तेजा दशमी) को प्रमुख पूजा स्थल परबतसर
(नागौर) में मेला भरता जाटों के आराध्य देव तेजाजी की मान्यता 'परम
गौरक्षक' एवं 'गायों के मुक्तिदाता', 'धौलिया वीर', 'काला एवं बाला के देवता' एवं 'कृषि कार्यों के उपकारक देवता' के रूप में है
Q2. तेजाजी के चतूबरे को 'थान' तथा पुजारी को... कहा जाता है-
(1) शरणागत
(2) घोड़ला
(3) सोहड़
(4) देवजी
व्याख्या - तेजाजी के मुख्य थान अजमेर जिले के सुरसुरा, ब्यावर, सैंदरिया एवं भांवता में है।
अजमेर के गाँवों में तेजाजी के चबुतरे (धान) के पत्थर पर घुड़सवार तथा सर्प का
चित्र उत्कीर्ण होता है। यदि किसी व्यक्ति को सर्प काट लेता है तो गाँव के लोग उस
व्यक्ति को चबूतरे पर ले जाते हैं, फिर गाँव का भोपा चबूतरे पर आकर
गौ मूत्र से कुल्ले कर दाँतों में गोबर की राख लगाकर जिस स्थान
पर सर्प ने काटा है उस स्थान से जहर चूसता है। इस भोपे को तेजाजी
का 'घोड़ला' कहा जाता है।
Q3. स्थान जहाँ गोगाजी का जन्म हुआ-
(1) खड़नाल
(2) परबतसर
(3) कतरियासर
(4) ददरेवा
ANS-
इदरेवा
(चूरू) में जन्मे (वि.सं. 1003) गोगाजी पंचपीरों में एक पीर (गोगापीर) और सर्पों के
देवता के
रूप में प्रसिद्ध है। नागवंशीय चौहान वीर गोगाजी के पिता का नाम जेवर सिंह व माता का नाम
बाछल देवी था। इनकी पत्नी का नाम केलमदे (कोलमण्ड
की राजकुमारी) था। ये एक ऐसे ऐतिहासिक चरित्र है जिनकी
पूजा गाँव-गाँव में बड़ी आस्था के साथ की जाती है। इसलिए
मारवाड़ में तो यह कहावत है कि 'गाँव-गाँव गोगो ने गांव-गांव खेजड़ी।'
Q4. गोगामेड़ी स्थित है-
(1) चुरू जिले में
(2) हनुमानगढ़
जिले में
(3) श्रीगंगानगर
जिले में
(4) झुन्झुनूं जिले में
Q5. 'जाहरपीर' के नाम से कौन से लोक देवता को जाना जाता है?
(1) देवनारायणजी
(2) गोगाजी
(3) हड़बूजी
(4) रामदेवजी
व्याख्या -
गोगाजी ने अपने मौसेरे भाई अर्जन-सुर्जन तथा उनकी सहायता कर रहे मुसलमानों से गायों को मुक्त कराने के लिए किये संघर्ष में अपने
प्राणों की आहूति दी। इन्होंने
महमूद गजनवी से युद्ध किया था। गोगाजी के रणकौशल को देखकर ही महमूद गजनवी ने कहा था कि यह
तो 'जाहीरा जाहर
पीर' है अर्थात् साक्षात् देवता के समान प्रकट
होता है। इसलिए ये 'जाहरपीर' के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। गोगाजी की
पूजा भाला लिए यौद्धा के रूप में यह सर्प रूप में होती
है।
Q6. लोकदेवता गोगाजी का थान सामान्यतः किस
पेड़ के नीचे बनाये जाते हैं ?
(1) खेजड़ी
(2) बबूल
(3) पीपल
(4) बरगद
(1) पाबूजी
(2) देवनारायणजी
(3) रामदेवजी
(4) तेजाजी
व्याख्या -
देवनारायण की फड़ गूर्जर भोपे द्वारा गायी जाती है। यह सबसे पुरानी, सर्वाधिक चित्रांकन व सर्वाधिक लम्बी गाथा वाली फड़ है जिसके
चित्रांकन में सर्प का चित्र तथा इनकी घोड़ी लीलागर को
हरे रंग से चित्रित किया जाता है। 2 सितम्बर 1992 को देवनारायण की फड़ पर पाँच रुपये का डाक टिकट जारी
किया गया।
Q8. देवनारायणजी का मुख्य मंदिर कहाँ अवस्थित
है-
(1) तलवाड़ा
(2) आसीन्द
(3) रामदेवरा
(4) पंचोटा
व्याख्या -
देवनारायणजी के पूजास्थल आसींद (भीलवाडा), जोधपुरिया
गाँव (.टॉक), देहमाली
(पुष्कर)
में स्थित
है।
Q9. राम सा पीर के नाम से प्रसिद्ध सन्त का
सही नाम क्या है?
(1) मेजर रामसिंह
(2) बाबा रामदेव
(3) रामचन्द्र
(4) कबीरदास
व्याख्या -
रूणीचा रा धणी / राम सा पीर/पीरों के पीर/ बाबा रामदेव नाम से प्रसिद्ध लोकदेवता रामदेवजी का जन्म कुंडूकासमेर (बाड़मेर) नामक स्थान
पर 1405 (वि.सं. 1462) में हुआ। इनके पिता अजमलसिंह तंवर तथा माता मैणादे थी। रामदेवजी का विवाह
अमरकोट (पाकिस्तान) के तत्कालीन राजा दलजी सोढ़ा
की अपंग -पुत्री नेतलदे (निहालदे) के साथ हुआ।
कहते है कि विवाह की वेदी पर रामदेव की अलौकिक शक्ति ने
इनकी अपंगता दूर कर दी। ये बालिनाथजी के शिष्य थे।
इन्होंने बाल्यावस्था में सातलमेर
में भैरव नामक क्रूर राक्षस का दमन किया। साम्प्रदायिक सद्भाव के प्रणेता एवं अछूतोद्वार में अग्रणी रहे बाबा रामदेव अलौकिक व्यक्तित्त्व के
धनी थे। किस लोकनायक के मेले को 'साम्प्रदायिक सद्भावना' का प्रतीक माना जाता है-
Q10. राजस्थानी लोकगीतों में गाए जाने वाला 'नेतल का भर्तार' किस लोकदेवता के संदर्भ में है?
(1) तेजाजी
(2) हड़भूजी
(3) पाबूजी
(4) रामदेवजी
Q11. कामड़िया पंथ के प्रवर्तक देव कौनसे है?
(1) रामदेव जी
(2) तेजाजी
(3) गोगाजी
(4) देवनारायण जी
Q12. किस लोक देवता की ख्याति 'चार हाथों वाले 'देवता' के रूप में
हुई ?
(1) देवनारायण
जी
(3) वीर कल्ला
जी
(2) मल्लीनाथ जी
(4) हड़बू जी
ANS-3
व्याख्या
वीर कल्ला राठौड़ का जन्म मारवाड़ के सामियाना गाँव में राव अचलाजी (मेड़ता शासक राव
दूदाजी के पुत्र) के घर आश्विन
शुक्ला अष्टमी वि.सं. 1601 (सन् 1544 ई.) को हुआ। प्रसिद्ध योगी भैरवनाथ
इनके गुरु थे। सामलिया क्षेत्र (डूंगरपुर) में इनकी काले पत्थर की प्रतिमा स्थापित है। चित्तौड़गढ़ दुर्ग में भैरव पोल पर कल्लाजी राठौड़ की एक छतरी बनी हुई है। 'नेला' (रुपेला) इस वीर का सिद्ध पीठ है। चित्तौड़ के तीसरे साक में अकबर के विरुद्ध लड़ते हुए ये वीरगति को
प्राप्त हुए,
युद्धभूमि
में चतुर्भुज के रूप में दिखाई गई वीरता के कारण इनकी ख्याति चार हाथ वाले लोक देवता के रूप में हुई। इन्हें नागराज का अवतार माना
जाता है।
Q13. प्लेग रक्षक एवं ऊंटों के देवता के रूप में प्रसिद्ध लोक देवता है-
(1) देवनारायण
जी
(2) पाबू जी
(3) गोगाजी
(4) रामदेवजी
व्याख्या-
पाबूजी उपनाम-लक्ष्मण का अवतार, ऊँटों का देवता, प्लेग रक्षक देवता। इनका जन्म 1239 ई. (वि.सं. 1296) में जोधपुर की फलौदी तहसील के कोल गाँव
में धांधल राठौड़ व कमलादे के घर हुआ तथा
विवाह अमरकोट के राजा सूरजमल सोढ़ा की पुत्री
सुप्यारदे से हुआ। मारवाड़ में सर्वप्रथम ऊंट लाने का श्रेय पाबूजी को है।
Q14. बाड़मेर जिले में तिलवाड़ा गाँव में
स्थित मंदिर किस लोकदेवता से सम्बन्धित है?
(1) गोगाजी
(2) बाबा रामदेव
(3) मेहाजी
(4) मल्लीनाथजी
व्याख्या -
मल्लीनाथजी का जन्म सन् 1358 ई. में मारवाड़ के राव तीड़ा जी (सलखा जी) के
यहाँ हुआ। अपनी रानी रूपादे की प्रेरणा से 1389 ई. में वे उगमसी भाटी के शिष्य हो गये और योगसाधना की
दीक्षा ग्रहण की। राजस्थान के जन मानस में उनकी महत्ता
इस तथ्य से स्पष्ट हो जाती है कि जोधपुर के पश्चिमी
परगने बाड़मेर का नामकरण इन्हीं के नाम पर मालानी किया
गया। इनका
मुख्य पूजा
स्थल लूणी नदी के तट पर तिलवाड़ा (बाड़मेर) में स्थित है। मल्लीनाथ पशु मेला तिलवाड़ा
(बाड़मेर)
में प्रतिवर्ष चैत्र माह में भरता है। कुण्डा पंच पंथ के प्रणेता रावल मल्लीनाथ थे। यह एक
वाममार्गी पंथ है।
Q15. सही सुमेलित नहीं है?
(1) गोगाजी - गोगामेड़ी
(2) मल्लीनाथ -पिचियाक
(3) पाबूजी-- कोलू
(4) तेजाजी - परबतसर
Q16. कुंडा पंथ के प्रणेता कौन थे।
(1) गोगाजी
(2) राव
अजीतसिंह
(3) पाबूजी
(4) राव
मल्लीनाथ
ANS-4
Q17. 'भूरिया बाबा' आराध्य देवता है-
(1) गौडवाड़ के मीणाओं के
(2) देवड़ा
राजपूतों के
(3) अजमेर के
चौहानों के
(4) उदयपुर के
सिसोदियों के
व्याख्या-
गौतमेश्वर महादेव (भूरिया बाबा या गौतम बाबा) का प्रसिद्ध मंदिर वहाँ की अरावली पर्वत श्रृंखलाओं में पाली जिले में नागा स्टेशन से 10 किमी. दूर प्रकृति की गोद में (सूकड़ी नदी के दाहिने किनारे पर) सुरम्य स्थल पर स्थित है। यहाँ 13 अप्रैल से 15 मई तक हर वर्ष प्रसिद्ध मेला लगता है।
कहा जाता है कि भयंकर अकाल के समय भी यहाँ
गंगा कुण्ड का पानी नहीं सूखता
बल्कि आसपास भी 2-3 मीटर खोजने
पर ही पानी निकल आता है। गौतमेश्वर महादेव का एक
लोकतीर्थ प्रतापगढ़
जिले में
अरनोद कस्बे के पास भी है, जिसे वहाँ का आदिवास समुदाय पाप विमोचक तीर्थ मानता है।
Q18. सुमेलित कीजिए
सूची-1 (लोकदेवता) सूची-II (मुख्य तीर्थस्थल)
(1) पाँचोटा
गाँव (जालौर) (A) तल्लीनाथ
(2) परबतसर (नागौर) (B) तेजाजी
(3) कोलू गाँव (फलौदी) (C) देवनारायण जी.
(4) आसींद (भीलवाड़ा) (D) पाबूजी.
कूट: A B C D
(1) 1 2 4 3
(2) 2 1 4 3
(3) 3 2 1 4
(4) 4 1 3 2
ANS-1`
Q19. 'बेंगटी' किस संत का पवित्र स्थल है-
(1) देवनारायण
जी
(2) हड़भूजी
(3) जाम्भोजी
(4) हरिदास जी
ANS-2
हड़बू जी का
जन्म मेहाजी सांखला के घर भंडेल (नागौर) में हुआ। इनका प्रमुख पूजा स्थल) बेंगटी
(फलौदी, जोधपुर) में स्थित है। इनके मौसेरे भाई
रामदेवजी की प्रेरणा से बालीनाथ को अपना गुरु
बनाया। रामदेवजी के मौसेरे भाई हड़बू शकुन शास्त्र के
ज्ञाता, वचनसिद्धि
एवं चमत्कारी महापुरुष थे। हड़बू जी राव जोधा
के समकालीन थे। हड़बू जी की गाड़ी की पूजा की जाती
है। इनके पुजारी सांखला राजपूत होते हैं।
इस सुंदर यात्रा के अंत में, हमें आपका धन्यवाद व्यक्त करना चाहते हैं कि आपने हमारे "Quick Revision" ब्लॉग का समय दिया। हमें खुशी है कि आपको राजस्थान के लोक देवताओं से संबंधित जानकारी प्राप्त हुई।
राजस्थानी संस्कृति के महत्वपूर्ण हिस्से जैसे लोक देवताओं के बारे में ज्ञान प्राप्त करने से आपने राजस्थान की समृद्ध विरासत को और अधिक महत्व दिया है। हम उम्मीद करते हैं कि इस ब्लॉग के माध्यम से आपने राजस्थानी संस्कृति के रंगीन और सांस्कृतिक संस्करण से अधिक परिचय प्राप्त किया है।
आपने इस ब्लॉग के साथ राजस्थान की लोक देवताओं के प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए यात्रा की है और हमारे साथ इस संशोधित और अद्यतित ज्ञान का अनुसरण करते रहने के लिए हमें गर्व है।
आपके साथ रहने का और आपके समर्थन का हमें महत्वपूर्ण साथ है। हम आपके अगले यात्राओं में भी आपके साथ जुड़े रहने की उम्मीद करते हैं।
धन्यवाद और बने रहें "Quick Revision" टीम के साथ!
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