राजस्थान की लोक देवियाँ | Rajasthan Ki Lok Deviyan | MCQ

 


"जानिए राजस्थान की लोक देवियों से जुड़े प्रश्नों के उत्तर इस रोचक ब्लॉग में! राजस्थान एक ऐसा राज्य है जो अपनी प्राकृतिक सौंदर्य, समृद्ध संस्कृति, और धार्मिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। इस ब्लॉग में, हम राजस्थान की लोक देवियों के प्रश्नों के रोचक उत्तर प्रस्तुत करेंगे, जिनसे आपको राजस्थानी धरोहर और सांस्कृतिक विरासत को समझने में मदद मिलेगी।

यहां हम राजस्थान की प्रसिद्ध लोक देवियों, उनके महत्वपूर्ण कथाएं, और उनसे जुड़े रहस्यों के पीछे के सत्य को खोजेंगे। आपको यहां धरोहर, धर्म, और संस्कृति के बारे में नए ज्ञान का अनुभव होगा जो राजस्थानी लोक देवियों के साथ जुड़ी हुई है।

तो जल्दी से इस रोमांचक यात्रा में हमारे साथ शामिल हों और राजस्थान की लोक देवियों के प्रश्नों के उत्तर ढूंढें। आपको यहां राजस्थान की अनूठी पौराणिक कथाएं और धार्मिक धरोहर का अनुसंधान करने का अवसर मिलेगा।"

 

 

Q1. राजसमंद झील में किस लोकदेवी का स्थान (मंदिर) है?

(1) आवड़

(2)तनोट

(3) जीणमाता

(4) घेवर माता

 

ANS-4

 

व्याख्या- घेवर माता का प्रसिद्ध मंदिर राजसमंद झील की पाल पर स्थित है। घेवर माता एकमात्र लोक देवी जो बिना पति के सती हुई थी। मान्यता है कि राजसमंद की पाल का पहला पत्थर घेवर बाई के हाथों से ही रखवाया गया था।

 

Q2. 'सुगाली माता' किस राजपरिवार की आराध्य देवी है?

(1) आउवा के ठाकुर परिवार (चंपावतों) की

(2) मेवाड़ के महाराजाओं की

(3) आमेर के कच्छवाहों की

(4) जालौर के चौहान की

 

ANS-1

 

Q3. अलवर क्षेत्र की लोकदेवी के रूप में किसे मान्यता प्राप्त है?

(1) लटियाला माता

(2) सुगाली माता

(3) सचिया माता

(4) जिलाणी माता

 

ANS-4

 

व्याख्या - जिलाणी माता का प्रसिद्ध मंदिर अलवर के बहरोड़ कस्बे की प्राचीन बावड़ी के समीप स्थित है। यहाँ प्रतिवर्ष 2 बार मेला लगता है।

 

Q4. आशापुरा माता किस वंश की कुलदेवी है?

(1) चौहान

(2) खींची

(3) राठौड़

(4) गुहिल

 

ANS-1

 

व्याख्या-आशापुरा माता : जालोर से 40 किमी. दूर मोदरा स्थित आशापुरी माता का मंदिर महिषासुर

मर्दिनी, महोदरी माता एवं मोदरा माता के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है । जालोर के सोनगरा चौहानों की जो शाखा नाडोल से उठकर आयी थी उनकी ये कुलदेवी थी ।

 

 

Q5. आमेर में शिला देवी का मंदिर बनवाया गया था-

(1) मानसिंह द्वारा

(2) सवाई जयसिंह द्वारा

(3) भारमल द्वारा

(4) मिर्जा राजा जयसिंह द्वारा

 

ANS-1

 

व्याख्या यह आमेर के कछवाहा वंश की इष्ट देवी है। 16वीं शताब्दी में मानसिंह प्रथम द्वारा पूर्वी बंगाल के राजा केदार को हराकर 'जस्सोर' नामक स्थान से अष्टभुजी भगवती की मूर्ति को लाकर आमेर दुर्ग में मन्दिर बनवाया। इस मन्दिर का वर्तमान स्वरूप मिर्जा राजा जयसिंह द्वारा करवाया गया। यहाँ ढाई प्याला शराब चढ़ती है तथा भक्तों को शराब व जल का चरणामृत दिया जाता है।

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Q6. जैसलमेर के नरेश 'कुलदेवी' के रूप में निम्न में से किस देवी की पूजा करते थे?

(1) करणी माता

(2) नगणेची

(3) स्वागिया देवी

(4) अन्नपूर्णा

 

ANS-3

 

व्याख्या -स्वागिया/सांगियाजी/सुग्गा माता – जैसलमेर के राज्य चिह्न स्वांग (माला) को देवी द्वारा दिया गया था इसी कारण यहाँ की देवी स्वांगिया देवी कहलाती है। यह माता जैसलमेर के भाटी शासकों की कुलदेवी मानी जाती है। ये आवड़ देवी का ही एक रूप मानी जाती है। जैसलमेर के राजचिह्नों में सबसे ऊपर पालम चिड़िया (शगुन) देवी का प्रतीक है।

 

Q7.  सांभर झील में निम्न में से किस देवी का मंदिर स्थित है ?

(1) शाकम्भरी देवी

(2) कुंजल माता

(3) शीला देवी

(4) बवन देवी

 

ANS-1

 

व्याख्या - जयपुर के पास सांभर झील में अवस्थित शाकम्भरी देवी का मंदिर प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त शाकम्भरी शक्ति पीठ का मंदिर सीकर की पहाड़ियों में भी स्थित है।

 

Q8.  निम्न में से किस लोकदेवी कोथार की वैष्णो देवी" कहा जाता है?

(1) जीण माता

(2) चामुण्डा माता

(3) ज्वाला माता

(4) तनोट माता

 

ANS-4

 

व्याख्या- तनोट माता (जैसलमेर) - थार की वैष्णो देवी व सेना के जवानों की देवी, रूमालवाली देवी भी कहते है।

 

Q9. लोकदेवी जीणमाता मंदिर स्थित थे-

(1) सीकर

(2) बिलाड़ा

(3) जालौर

(4) करौली

 

ANS-1

 

व्याख्या जीण माता इन्हें चौहानों की कुल देवी/ शेखावाटी क्षेत्र की लोक देवी/मधुमक्खियों की देवी के नाम से जाना जाता हैं। इनका जन्म धांधू गाँव में हुआ। इसके मन्दिर का निर्माण पृथ्वीराज चौहान प्रथम के समय हट्टड़ द्वारा हर्ष की पहाड़ी (रेवासा-सीकर) पर करवाया। यहाँ ढाई प्याले शराब चढ़ती है व पहले बकरे की बली दी जाती थी। वर्तमान में केवल बकरे के कान चढ़ाते है। हर्ष पर्वत के निकट 'काजल शिखर' पर जीण माता के भाई हर्ष भैंरू का थान है। प्रतिवर्ष चैत्र व आश्विन नवरात्रों में मेला भरता है।

 

 

Q10. निम्न में से किस देवी को शिशु-रक्षक लोकदेवी माना जाता है-

(1) चौथ माता

(2) घेवर माता

(3) छींक माता

(4) महामाया माता

 

ANS-4

 

व्याख्या=शीतला माता-सेढ़ल माता/ महामायामाता/चेचक निवारक देवी के रूप में शीतला माता की पूजाचैत्र कृष्ण सप्तमी व अष्टमी को की जाती है। यह बच्चों की संरक्षिका देवी है। इस दिन ठण्डा भोजन (बास्योड़ा) का भोग लगाया जाता है। माता का वाहन गधा व पुजारी कुम्हार जाति का होता है। इसके मंदिर में मूर्ति की जगह पाषाण (पत्थर) के खण्ड है। राजस्थान में शीतलामाता ऐसी देवी है जो खण्डित रूप में पूजी जाती है। इनका मंदिर सवाई माधोसिंह ने शील की डूंगरी (चाकसू, जयपुर) नामक स्थान पर बनवाया।

 

Q11. सेन (नाई) समाज की कुलदेवी के रूप में प्रसिद्ध लोक-देवी कौन हैं?

(1) शीतला माता

(3) घेवर माता

(2) आई माता

(4) नारायणी माता

 

ANS-4

 

व्याख्या - नारायणी माता : नाई जाति के लोग इन्हें अपनी कुलदेवी मानते हैं। इनका मंदिर अलवर जिले की राजगढ़ तहसील में बरवा डूंगरी में 11 वीं शताब्दी में प्रतिहार शैली में निर्मित किया गया।

 

Q12. राजस्थान की कौनसी विख्यात लोकदेवी का संबंध चूहों से है?

(1) शिला माता

(2) करणी माता

(3) नागणेचीया माता

(4) शीतला माता

 

ANS-2

 

व्याख्या-बीकानेर के राठौड़ों की आराध्य देवी व चारण जाति की इस कुलदेवी का मंदिर बीकानेर के देशनोक नामक स्थान पर स्थित है। करणीमाता चहों की देवी के रूप में भी जानी जाती है। करणी माता के बचपन का नाम रिद्धिबाई था जो कालान्तर में करणी अर्थात् 'अनादि शक्ति स्वरूप करामात की देवी' हो गया। इस मंदिर में पाये जाने वाले सफेद चूहे 'काबा' कहलाते हैं। गौ रक्षा व सिद्धियों

के कारण इन्हें देवत्व प्राप्त हुआ। करणी माता के मंदिर में सावन, भादो नामक दो कड़ाईया रखी गई है।

 

Q13. राजस्थान के लोक साहित्य में किस देवी-देवता का गीत सबसे लम्बा है-

(1) जीणमाता

(2)आईमाता

(3) मल्लीनाथजी

(4) रामदेवजी

 

ANS-1

 

व्याख्या - राजस्थानी लोक साहित्य में जीणमाता देवी का गीत सबसे लम्बा है। इस गीत को कनफटे जोगी केसरिया कपड़े पहन कर माथे पर सिंदूर लगाकर, डमरू एवं सारंगी पर गाते हैं। यह गीत करुण रस से ओत प्रोत है।

 

Q14. जोधपुर के राठौड़ों की देवी, जिसकी 18 भुजायें हैं-

(1) शीतला माता

(3) सकराय माता

(2) आवरी माता

(4) नागणेची माता

 

ANS-4

 

व्याख्या- नागणेची माता - यह माता जोधपुर के राठौड़ शासकों की कुलदेवी मानी जाती है। नागणेची की .18 भुजाओं वाली प्रतिमा बीकानेर के यशस्वी संस्थापक राव बीका ने स्थापित करवाई थी।

 

प्रमुख कुल देवियाँ एक दृष्टि में---

देवी                                       स्थान                                              विशेष विवरण

 

 

करणी माता.                     देशनोक (बीकानेर)     बीकानेर के राठौड़ वंश की आराध्य देवी, चूहों की देवी

कैलादेवी                              करौली                                   करौली के यादव वंश की कुलदेवी

जमुवाय माता/अन्नपूर्णा       जमुवारामगढ़ (जयपुर)               आमेर के कछवाहा राजवंश की कुलदेवी

स्वांगियाजी, आवड़ माता/सुग्गामाता            जैसलमेर            भाटी राजवंश की कुलदेवी

नागणेची                              जोधपुर                                   जोधपुर के राठौड़ों की कुल देवी

बाणमाता/बरवड़माता             उदयपुर                                   सिसोदिया राजवंश की कुल देवी

सच्चियाँ/सच्चिका माता        ओसियाँ (जोधपुर)                    ओसवालों की कुल देवी

चामुण्डा माता                      जोधपुर                                    प्रतिहार वंश की कुलदेवी

आशापुरी या महोदरी माता      मोदरां (जालौर)                     जालौर के सोनगरा चौहानों की कुल देवी

जीण माता                          सीकर                                    चौहानों की कुलदेवी

ज्वाला माता                        जोबनेर (जयपुर)                      खंगारोतों की कुलदेवी

 

 

 

इस रोचक यात्रा के समापन पर, हम आपका धन्यवाद व्यक्त करते हैं कि आपने हमारे "Quick Revision" ब्लॉग का समय दिया। राजस्थान की लोक देवियों से संबंधित प्रश्नों के उत्तरों को जानकर आपने इस राज्य की विशालकाय सांस्कृतिक धरोहर को और अधिक समझा है। हमें खुशी हुई कि हमारे ब्लॉग आपके लिए ज्ञानवर्धक और मनोरंजक रहा।

अगले ब्लॉग पोस्ट में भी हम राजस्थान की विभिन्न पहलुओं को अनसुने रहस्यों के साथ प्रस्तुत करेंगे, और हम आपके साथ आपके प्रश्नों के उत्तर देने के लिए तैयार रहेंगे।

धन्यवाद और बने रहें "Quick Revision" टीम के साथ!

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